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रविवार, 22 जून 2008

परी


बचपन में

माँ रख देती थी चाकलेट
तकिये के नीचे
कितना खुश होता
सुबह-सुबह चाकलेट देखकर
माँ बताया करती

जो बच्चे अच्छा काम
करते हैं
उनके सपनो में परी आती

और देकर चली जाती चाकलेट

मुझे क्या पता था

वो परी कोई नहीं

माँ ही थी।

***कृष्ण कुमार यादव ***












2 टिप्‍पणियां:

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

Maa aur Pari....apki samvedanshilata ki kayal hoon!

बेनामी ने कहा…

माँ से जुडी यादें हमेशा भावुक ही करती हैं. ऐसा अटूट रिश्ता तो इस जहां में है भी नहीं !!!