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शनिवार, 29 मई 2010

अंडमान-निकोबार में रवीद्रनाथ टैगोर 150वीं जयंती समारोह का शुभारम्भ

महान कवि रवीद्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर में पिछले दिनों वर्ष भर चलने वाले भव्य समारोह का आगाज़ हुआ। अंडमान पीपुल थिएटर एसोसिएशन, आप्टा द्वारा आयोजित इस कवि गुरू नमन का उद्घाटन एम्फी थिएटर के खुले रंगमंच पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव द्वारा किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि रवीद्रनाथ टैगोर जैसा व्यक्तित्व किसी समाज या किसी देश की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, ऐसे व्यक्तित्व समूची मानवता के थाती होते हैं। रवीद्रनाथ टैगोर न सिर्फ़ कवि, साहित्यकार, संगीतकार, चित्रकार इत्यादि थे बल्कि वे मानवतावाद के अग्रणी पोषक भी थे। एक जमींदार घराने से होते हुए भी उन्होंने ग्रामीण किसानों के लिए कार्य किया। वह पहले कवि थे, जिन्होंने प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होकर भारत को पहला नोबेल तो दिलवाया ही, पराधीन भारत के आहत स्वाभिमान को एक बार फिर सिर उठाने का अवसर दिया। श्री यादव ने बताया कि मात्र सात साल की उम्र में लिखना आरम्भ करने वाले रवीद्रनाथ टैगोर ने 1920 में भावनगर, गुजरात में आयोजित छठे गुजराती साहित्य परिषद में गाँधी जी के आग्रह पर बतौर अध्यक्ष अपना पहला भाषण हिन्दी में दिया।
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य श्री गोविन्द राजू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने सभी भाषा-भाषियों से अनुरोध किया कि वे भी टैगोर के 150 वीं जयंती कार्यक्रम को मनाएँ। द्वीपों के जाने-माने बंगला साहित्य के रचनाकार और वाक-प्रतिमा के संपादक इस अवसर पर विशिष्ट सम्माननीय अतिथि थे। उन्होंने कवि गुरू रवीद्रनाथ टैगोर के संक्षिप्त जीवन दर्शन का परिचय दिया। साथ ही उनकी कुछ चुनिंदा रचनाओं का बोध कराया।


कार्यक्रम में रवीन्द्र संगीत, कहानी, कविता, गीतांजलि पर श्री प्रकाश की पेंटिंग तथा रक्त कोरणी ; लाल कनेर नाटक के अंश प्रस्तुत किए गए। इसे आप्टा के निदेशक नरेश चन्द्र लाल ने प्रस्तुत की। श्री निमोय चन्द्र बनर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(रिपोर्ट : नरेश चन्द्र लाल)

(इस समाचार को आप सृजनगाथा, साहित्यशिल्पी, स्वतंत्र आवाज़ , युग मानस पर भी देख सकते हैं )

22 टिप्‍पणियां:

माधव( Madhav) ने कहा…

unity for a good course,but i am surprised that in Delhi there is no buzz on this 150 year Celebration, it is surprising

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

very nice sir

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wahwa...badhai..

शमीम ने कहा…

जानकारी प्रदान करने के लिये आपका आभार.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ता बढ़िया प्रोग्राम है. टैगोर जी के बारे में हमें भी जानकारी मिली.

Akanksha Yadav ने कहा…

टैगोर जी को नमन. सुन्दर रिपोर्टिंग !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

रवीद्रनाथ टैगोर जैसा व्यक्तित्व किसी समाज या किसी देश की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, ऐसे व्यक्तित्व समूची मानवता के थाती होते हैं। ....बहुत सही कहा आपने अपने उद्बोधन में..शानदार रिपोर्टिंग ही है नरेश लाल जी ने. .बधाई.

बेनामी ने कहा…

अंडमान में भी आपकी सक्रियता बनी हुई है, देखकर अच्छा लगा.

बेनामी ने कहा…

टैगोर जी को सादर नमन .

Unknown ने कहा…

रवीद्रनाथ टैगोर न सिर्फ़ कवि, साहित्यकार, संगीतकार, चित्रकार इत्यादि थे बल्कि वे मानवतावाद के अग्रणी पोषक भी थे।..सटीक व सुन्दर विश्लेषण.

Unknown ने कहा…

अभिलाषा जी की बात मैं भी दोहराना चाहूँगा ...शुभकामनायें.

Bhanwar Singh ने कहा…

अच्छा लगा आपको मुख्य अतिथि के रूप में देखकर. अभी तक तो कानपुर में ही देखते थे, अब अंडमान में भी.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत खूब सर . पोर्टब्लेयर की यह रिपोर्ट कई जगह पढ़ी ...आपको कोटिश : बधाई. जब आप हैं तो चर्चा होनी ही है.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

उन्नति के पथ पथ पर यूँ ही अग्रसर हों..बधाई व आशीष.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Congts. Big brother..We may proud on u.

editor : guftgu ने कहा…

कृष्ण कुमार जी, प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच आपकी यह साहित्यिक सक्रियता प्रेरणा देती है.

Shahroz ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति..बधाई.

KK Yadav ने कहा…

आप सभी लोगों के स्नेह व प्यार के लिए आभार !!

S R Bharti ने कहा…

सर , आपने रविन्द्र नाथ टैगौर की पुन्य जयंती पर रोचक जानकारी देकर पाठकों पर बड़ा उपकार किया है.
कोटिशः धन्यवाद

KK Yadav ने कहा…

@ माधव,
दुर्भाग्यवश हमारे देश में साहित्यकारों का भी क्षेत्रीयकरण हो गया है. खैर इंतजार कीजिये, कुछ दिन में दिल्ली में भी हलचल जरुर दिखेगी. अभी तो राष्ट्रमंडल खेलों की ही हलचल है.

KK Yadav ने कहा…

@ अभिलाषा जी,

बस आप लोगों की दुआ है सब.

KK Yadav ने कहा…

@ Mohd. Gazi ji.

बस आप लोगों की दुआ है सब.