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रविवार, 1 मई 2011

मजदूर करे तो क्या करे..




दुनिया भर के मजदूरों एक हो



जुल्म और शोषण का मिलकर जवाब दो



न जाने कैसे-कैसे नारे और वायदे




पर मजदूर एक हों तो कैसे



जिसे उन्होंने अपना नेता चुना



बैठ गया है वह सत्ता की पांत में



अब तो उनकी भाषा भी नहीं समझता




फिर मजदूर करे तो करे क्या



अब तो उनमें भी वर्ग भेद हो गया है



उनके अगुआ बन बैठे हैं दलाल






फिर बुर्जुआ वर्ग का क्या दोष



वह तो चाहता है उनका हक देना



पर आड़े आते हैं नेता और दलाल



आखिर फिर इन्हें कौन पूछेगा




शायद अब मार्क्स को भी गढ़नी पडे़



शोषितों व बुर्जुआ की एक नयी परिभाषा !!

20 टिप्‍पणियां:

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

मार्क्सवाद को भारतीय दर्शन के अनुसार लागू करें तो मजदूरों का हित संभव है.

Shahroz ने कहा…

मजदूरों की विडंबना को बहुत सुन्दर शब्दों में ढाला आपने..बधाई.

Shahroz ने कहा…

मजदर दिवस पर सभी को मुबारकवाद.

Shahroz ने कहा…

आपकी बेटी अक्षिता (पाखी) को उत्तरांचल के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' द्वारा बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड मिलने पर आपको सपरिवार शुभकामनायें.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

पापा ने लिखी प्यारी कविता...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Shahroz Aunty,

Thanks for ur sweet wishes Here.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

परिभाषायें अस्थिर हैं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सच्चाई कहती अच्छी रचना

Unknown ने कहा…

nothing to do

बहुत सुन्दर लिखा आपने. बधाई.
आपका स्वागत है.
दुनाली चलने की ख्वाहिश...
तीखा तड़का कौन किसका नेता?

Shah Nawaz ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Shah Nawaz ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Shah Nawaz ने कहा…

मजदूर दिवस पर सार्थक रचना...

Udan Tashtari ने कहा…

दिवस विशेष प्र उत्तम रचना.

raghav ने कहा…

अक्षिता (पाखी) को उत्तरांचल के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' द्वारा बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड मिलने पर शुभकामनायें.

Akanksha Yadav ने कहा…

वाकई आज मजदूर दिशाहीन हो गया है...सुन्दर कविता.

Shyama ने कहा…

समाज में श्रमिक की व्यथा को उकेरती प्रभावशाली कविता..बधाई.

Shyama ने कहा…

नन्हीं अक्षिता को बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड प्राप्त होने पर बधाई.इसे कहते हैं पूत के पांव पालने में.
के.के. जी और आकांक्षा जी ने बिटिया पाखी को जो संस्कार और परिवेश दिया है, वाकई अनुकरणीय है. उन्हें श्रद्धावत नमन. .

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

शायद अब मार्क्स को भी गढ़नी पडे़

शोषितों व बुर्जुआ की एक नयी परिभाषा !!
...परिवर्तन दुनिया का शाश्वत नियम है...सुन्दर प्रस्तुति... इस सुन्दर रचना के लिए बधाई.

Bhanwar Singh ने कहा…

श्रमिकों के प्रति सुन्दर भाव. कविता के लिए के.के. यादव जी को ढेरों बधाई.

रजनीश तिवारी ने कहा…

यथार्थ पर आधारित बहुत अच्छी रचना...