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सोमवार, 23 अप्रैल 2012

ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक




प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक

ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक

कला-संस्कृति, लोकजीवन की

कहती है कहानी पुस्तक।


अच्छी-अच्छी बात बताती

संस्कारों का पाठ पढ़ाती

मान और सम्मान बड़ों का

सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।


सीधी-सच्ची राह दिखाती

ज्ञान पथ पर है ले जाती

कर्म और कर्तव्य हमारे

सद्गुण हमें सिखाती पुस्तक।

("विश्व पुस्तक दिवस" पर यह बाल कविता)

-- कृष्ण कुमार यादव--

5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी सुन्दर कविता है, पुस्तकों का महत्व है जीवन में।

Asha Joglekar ने कहा…

पुस्तकों का महत्व बताती सुंदर बाल कविता ।

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

Bahut sundar aur prasangik kavita..badhai.

Shyama ने कहा…

पुस्तकों से अच्छा मित्र कोई नहीं..सुन्दर कविता ..बधाई.

Shyama ने कहा…

बिटिया पाखी का चित्र तो वाकई शानदार है..स्नेहाशीष.